दिल्ली की हवा जहरीली! काफी पहले प्रदूषण को लेकर हॉकिंग ने कही थी ये बात

दुनिया के जानेमाने भौतिकशास्त्री और खगोलविद् प्रोफेसर स्टीफेन हॉकिंग (Stephen Hawking) ने अपने निधन से करीब दो साल पहले एक अहम इंटरव्यू में कहा था कि बीते दशकों में पर्यावरण के प्रति हमें कम लालची होना चाहिए था.
हमने बीते दशकों में बहुत अधिक बेवकूफियां की हैं, जिसे नहीं करना चाहिए था. दि इंडिपेंडेंट अखबार के मुताबिक उन्होंने लैरी किंग के साथ एक इंटरव्यू में यह बात कही थी. उनका यह इंटरव्यू ओरा टीवी पर वर्ष 2016 में प्रसारित किया गया था. आठ जनवरी 1942 को जन्में प्रोफेसर हॉकिंग का 14 मार्च 2018 में निधन हो गया था.
प्रोफेसर ने वर्ष 2016 में कहा था कि मैंने 6 साल पहले यानी वर्ष 2010 में ही प्रदूषण और भीड़ को लेकर दुनिया को चेताया था. उसके बाद से स्थिति लगातार बदतर हो रही है. हमारी पिछली बातचीत से अब तक दुनिया की आबादी आधा अरब बढ़ चुकी है और इस पर कहीं भी अंकुश लगता नहीं दिख रहा है.
2100 तक होगी 8 अरब की आबादी
उन्होंने कहा था कि अगर इस दर से जनसंख्या बढ़ती रहती है तो वर्ष 2100 तक दुनिया में 8 अरब से अधिक लोग होंगे. बीते पांच सालों में वायु प्रदूषण में 8 फीसदी की वृद्धि हुई है. दुनिया के 80 फीसदी से अधिक शहरी इलाकों की हवा प्रदूषण के कारण सांस लेने लायक नहीं है.
उन्होंने कहा था कि प्रदूषण बढ़ने और कार्बन डाइऑक्साइट के उत्सर्जन बढ़ने के कारण हम ग्लोबल वार्मिंग के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से रोकने में काफी देर कर चुके होंगे. उन्होंने वर्ष 2016 में एक कार्यक्रम में ये सभी बातें कही थीं.
युद्ध में कृत्रिम बुद्धि के इस्तेमाल को लेकर चिंतित
प्रोफेसर हॉकिंग भविष्य के युद्ध में कृत्रिम बुद्धि के इस्तेमाल को लेकर भी चिंतित थे. उन्होंने कहा था कि सरकारें एआई आर्म्स रेस में शामिल होते दिख रही हैं. वे एआई आधारित हवाई जहाज और हथियारों का निर्माण कर रही हैं. इन परियोजनाओं से सीधे पर तौर पर इंसान को फायदा हो सकता था. इन्हें मेडिकल जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता था.
उन्होंने कहा था कि कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में विकास निश्चिततौर पर सोच समझकर होना चाहिए. उन्होंन कहा था कि अगर मशीनें कृत्रिम बुद्धि के उस स्तर तक पहुंच जाएंगी कि वे खुद अपने आप को बनाने लगेंगी तो हमारे लिए यह अनुमान लगाना कठिन हो जाएगा कि उनका भी लक्ष्य वही होगा जो हमारा है.
प्रोफेसर हॉकिंग ने प्रकृति के अस्तित्व को लेकर भी चर्चा की थी. उन्होंने स्टारमस कॉन्फ्रेंस में ज्ञात ब्रह्माण्ड के बारे में एक मैप बनाने की अपनी योजना बताई थी. इसे रेडिएशन के पैटर्न का अध्ययन कर बनाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि उनके इस काम से काली ऊर्जा की प्रकृति का पता चलेगा, जो अत्याधिक तेजी से ब्रहामाण्ड के विस्तार की वजह रही है.
ईश्वर के अस्तित्व को भी खारिज कर चुके हैं हॉकिंग
खगोलशास्त्री स्टीफन हॉकिंग को नास्तिक माना जाता है. उन्होंने अपनी अंतिम किताब में यह स्पष्टतौर पर लिखा है कि भगवान कहीं नहीं होता है. किसी ने दुनिया नहीं बनाई है और कोई हमारी किस्मत नहीं लिखता है. उन्होंने अपनी अंतिम किताब में कई ऐसे सवालों की बात कही है जो हमारी सोच ने हजारों साल आगे की बात है. उन्होंने अपनी किताब में कई ब्रह्माण्ड होने, एलियन इंटेलिजेंस, स्पेस कोलोनाइजेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनी राय रखी है.
उन्होंने आगे लिखा है कि सदियों से यह धारणा है कि उनके जैसे शारीरिक रूप से डिसेबल लोगों पर ईश्वर का श्राप है. लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता हूं. उनकी किताब का नाम है- क्या वहां भगवान है? उन्होंने इस किताब में लिखा है कि इस सदी के खत्म होते हम भगवान के दिमाग को समझने लगेंगे.