सांसद -विधायक को अयोग्य करार देने का अधिकार राजनीतिक दल के मुखिया को मिले

जयपुर: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने दल-बदल कानून में सांसदों-विधायकों को अयोग्य ठहराने का अधिकार उसकी पार्टी के अध्यक्ष को देने की पैरवी की है। शिमला में 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में शामिल हुए। 21वीं शताब्दी का यात्रा रिव्यू और भविष्य के वर्कप्लान को लेकर अध्यक्ष की भूमिका विषय पर डॉ सीपी जोशी ने अपनी बात रखी। डॉ सीपी जोशी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और तमाम राज्यों के विधासभा अध्यक्षों के बीच सम्मेलन में कहा कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी से टिकट लेकर चुनाव जीतने वाला विधानसभा सदस्य ठीक व्यवहार नहीं कर रहा है, तो भारत में दल-बदल विरोधी कानून में उसे अयोग्य घोषित करने का अधिकार राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष को होना चाहिए। क्योंकि वही उसे टिकट देता है। लेकिन मेरी इस बात से मेरे साथी सहमत नहीं हैं।
डॉ जोशी ने कहा कि विधायक की पार्टी का नियम और नॉमिनेशन होता है। यदि उसकी पार्टी का सदस्य ठीक से व्यवहार नहीं करता है। तो पार्टी अध्यक्ष को अधिकार होना चाहिए कि वह उसे कह सके कि हमने निर्णय किया है हमारे सदस्य वेल में नहीं जाएंगे। बायकॉट कर राष्ट्रपति या राज्यपाल के पास नहीं जाएंगे। उस फैसले को कोई सदस्य नहीं मान रहा है और बुरा व्यवहार कर रहा है। तो उसे अयोग्य घोषित करने का अधिकार पॉलिटिकल पार्टी के लीडर को होना चाहिए। पार्टी लीडर के पास पावर होनी चाहिए कि वो इलेक्शन कमीशन को भी लिखकर दे कि जिस आदमी को मैंने नॉमिनी बनाया, जो जीतकर आया है। वह पार्टी के नियम और कायदों के अनुसार काम नहीं कर रहा है। इसलिए उसे डिस्क्वालिफाई किया जाए। फिर हाउस की चीजें अपने आप ठीक हो जाएंगी।
डॉ सीपी जोशी ने विधानसभा अध्यक्षों की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि व्यक्तिगत तौर पर अध्यक्षों ने किन-किन पार्टियों के प्रभाव में किस-किस तरह के निर्णय लिए हैं, जो आगे जाकर प्रभावित करेंगे। उन्हें देखे जाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर हमने सावधानी नहीं बरती, तो पीठासीन अधिकारियों को ताकत मिलने की बजाय उनमें कमजोरी आएगी। जोशी ने उदाहरण देते हुए कहा कि 1952 से 1967 तक का इतिहास उठाकर देखें, तो देश में कांग्रेस पार्टी का शासन था। लेकिन कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष से ज्यादा डॉमिनेंट व्यक्तित्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का था। तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उस समय लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका की आप पूरी समीक्षा कर लें।