दक्षिण-शक्ति युद्धाभ्यास: पश्चिमी मोर्चे पर देश का पहला एकीकृत युद्धभ्यास,30 हजार सैनिक ले रहे भाग

जैसलमेर: देश में थियेटर कमांड बनाने की दिशा में बढ़ते हुए इनदिनों गुजरात और राजस्थान में ‘दक्षिण-शक्ति युद्धाभ्यास’ नाम की बड़ी एक्सरसाइज चल रही है। दक्षिण-शक्ति युद्धभ्यास में करीब 30 हजार सैनिक और पुलिसकर्मी हिस्सा ले रहे हैं। करीब 500 किलोमीटर के दायरे में चल रहे इस एक्सरसाइज में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के साथ साथ कोस्टगार्ड, गुजरात पुलिस, बीएसएफ और खुफिया एजेंसियां भी हिस्सा ले रही है। दोनों ही मोर्चों पर दुश्मनों पर हमले का अभ्यास किया जा रहा है। गुजरात के कच्छ में भी ऐसा ही युद्धाभ्यास चल रहा है, जिसमें एक साथ आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की वॉर एक्सरसाइज चल रही है, जिसे दक्षिण शक्ति का नाम दिया गया है। इसमें कुल 30 हजार जवान हिस्सा ले रहे हैं। भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह ट्रेनिंग की जा रही है।
जैसलमेर में चल रही ये एक्सरसाइज का शुक्रवार को समापन होगा, इस दौरान करीब 400 पैराट्रूपर्स एक साथ पैरा जंप करेंगे। ये पहला मौका है जब पाकिस्तान से सटी सीमा पर नई टेक्नोलॉजी से वॉर एक्सरसाइज की जा रही है। समापन समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आएंगे। उनके साथ ग्रह मंत्री अमित शाह भी आ सकते है। गुरुवार को थल सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे इसके साक्षी होंगे। पाकिस्तान के बॉर्डर के नजदीक चल रहे इस युद्धाभ्यास में भारतीय सेना का न केवल दम-खम दिख रहा है, बल्कि उनके रण कौशल से पाकिस्तान की सेना में हलचल मची है।
इसलिए हो रहा है युद्धाभ्यास
देश में सेना के तीनों अंगों की साझा कमान बनाने पर जोरों से काम चल रहा है। थियेटर कमान बनने के बाद थलसेना, वायुसेना और नौसेना की एकीकृत कमान होग। तीनों अंगों के कामों में दोहराव कम होगा और सैन्य संचालन में सुविधा होगी। आधुनिक स्थिति में कोई अंग अब अकेले युद्ध नहीं लड़ सकता है। ऐसे में कमान बनाने से पहले सशस्त्र सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग के उद्देश्य से दक्षिण-शक्ति युद्धाभ्यास किया जा रहा है।
तीनों सेनाओं का तालमेल दिख रहा है अभ्यास युद्ध में
तीनों सेना थार के रेगिस्तान से लेकर कच्छ के रण तक युद्धाभ्यास कर रही है। करीब 500 किलोमीटर के दायरे में चल रहे इस वॉर एक्सरसाइज में सेना ने पूरी ताकत झोंक दी है। युद्धाभ्यास दक्षिण शक्ति के तहत सेना ने रेगिस्तान में अपनी क्षमता को परखा।
युद्धाभ्यास दक्षिण शक्ति के जरिए सेना बदलते परिवेश में रणक्षेत्र के नए तरीकों पर प्रयोग कर रही है, ताकि कम से कम समय में जवाबी हमला बोलकर दुश्मन को ना केवल चौंकाया जा सके, बल्कि उसके स्ट्रेटेजिक पॉइंट पर कब्जा भी किया जा सके। इसी को ध्यान में रखकर एयर स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आजमाया जा रहा है। इस युद्धाभ्यास में देश में ही विकसित हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर के अलावा ड्रोन का भी उपयोग किया जा रहा है। इस वॉर एक्सरसाइज में आर्मी, नेवी, एयरफोर्स के अलावा कोस्ट गार्ड, BSF, पुलिस और दूसरी इंटेलिजेंस एजेंसियां शामिल हुई हैं। इन सबके बीच तालमेल को परखा जा रहा है।