यूक्रेन से निकलने की कोशिश:बॉर्डर तक पहुंचने की कोशिश में ट्रेन से निकले कुछ भारतीय स्टूडेंट्स, अब तक जान सांसत में है, फायरिंग व लूट का भय
भारतीय दूतावास से सहयोग नहीं मिलने से दुखी स्टूडेंट्स अब अपने बूते ही कीव व खार्किव से बाहर निकलने की कोशिश में जुटे हैं। ये स्टूडेंट्स ट्रेन, बस या फिर केब से निकल तो रहे हैं लेकिन रास्ते में लूट, फायरिंग और रूसी सैनिकों से मारपीट का भय इन्हें सता रहा है। इन्हीं में कुछ बीकानेर के स्टूडेंट्स भी शामिल है।
बीकानेर की आकांक्षा और माधुरी का कहना है कि खार्किव को छोड़कर बहुत सारे स्टूडेंट्स बाहर निकले हैं। इसमें बीकानेर की कुछ लड़कियां शामिल है। लगभग दस किलोमीटर पैदल चलने के बाद रेलवे स्टेशन तक पहुंचे। इस दौरान पूरे रास्ते में गोलियां और बमबारी की आवाजें सुनाई देती रही। रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो वहां इतनी जबर्दस्त भीड़ थी कि ट्रेन तो दूर रेलवे स्टेशन में घुस पाना मुश्किल था। तीन बार ट्रेन आई और चली गई लेकिन भारतीय स्टूडेंट्स वहीं खड़े रह गए। बाद में जैसे-तैसे इस ट्रेन से हम निकल पाए हैं। ट्रेन पूरी तरह फ्री है लेकिन सौ से पांच सौ डॉलर की कीमत चुकानी पड़ रही है।
भारतीय एंबेसी भी स्टूडेंट्स का सहयोग करने में अब असहाय हो गई है। दरअसल, जिस तरह स्टूडेंट्स वहां से निकल नहीं पा रहे हैं, ठीक वैसे ही भारतीय एंबेसी के लोग भी वहां पहुंच नहीं पा रहा। खासकर कीव और खार्किव पहुंचना मुश्किल है। रूसी हवाई हमले उन लोगों पर किए जा रहे हैं, जो सड़क पर हैं। ऐसे में किसी बस या केब में जाने पर उन पर भी हमले की आशंका रहती है।
मेट्रो पर अब भी स्टूडेंट्स
उधर, खार्किव के मेट्रो स्टेशन पर बीकानेर के विवेक सोनी सहित दर्जनभर स्टूडेंट्स अब भी फंसे हुए हैं। बंकर में होने से सुरक्षित है लेकिन भोजन की व्यवस्था बमुश्किल हो पा रही है। स्टूडेंट्स वहां से भोजन लेने के लिए अपने रुम पर पहले जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है। स्टूडेंट्स को वहां से निकलने से रोका जा रहा है।