राजस्थान में कोयला-बिजली संकट,मोदी सरकार ने दी राहत:छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने खींचे हाथ,तो केन्द्र से मांगी मदद, 24 मिलियन मैट्रिक टन कोयला मिलेगा
कोयले की कमी के कारण बिजली किल्लत का सामना कर रहे राजस्थान को केन्द्रीय एनर्जी मिनिस्ट्री ने कोयला उपलब्ध कराने की सिफारिश कर दी है। इससे राजस्थान के थर्मल बिजलीघरों को कोल लिंकेज पॉलिसी के तहत अगले 1 साल के लिए कोयला मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राजस्थान सरकार की डिमांड को मानते हुए एनर्जी मिनिस्ट्री ने कोल मंत्रालय को 24.4 मिलियन मैट्रिक टन कोयला राजस्थान को एडिशनल मुहैया कराने की सिफारिश की है। अक्टूबर-नवम्बर 2021 में ही राजस्थान की माइंस को केन्द्र सरकार से पर्यावरण और अन्य स्वीकृतियां मिल चुकी हैं। लेकिन करीब 4 महीने बीतने के बाद भी छत्तीसगढ़़ सरकार ने राजस्थान को माइनिंग की परमिशन नहीं दी है। इसलिए राजस्थान सरकार की मांग और भारी कोयला संकट के चलते वैकल्पिक व्यवस्था के तहत केन्द्र की मोदी सरकार ने मदद की है।
गहलोत 2 बार छत्तीसगढ़ CM भूपेश बघेल से कर चुके आग्रह
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद दो बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मंजूरी का आग्रह कर चुके और पत्र भी लिख चुके हैं। सोनिया गांधी से भी हस्तक्षेप करने की मांग की गई। लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई। मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केन्द्र सरकार की एनर्जी मिनिस्ट्री की सिफारिश को बड़ी कामयाबी और प्रदेश के लिए राहत भरी खबर बताया है। उन्होंने कहा इससे प्रदेश के प्रभावित थर्मल बिजलीघरों में बिजली प्रोडक्शन लगातार जारी रह सकेगा।
राजस्थान को एडिशनल कोयला देने की सिफारिश
राजस्थान के एनर्जी डिपार्टमेंट के एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों हाई लवेल बैठक में केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार से कॉर्डिनेशन बनाकर कोयला संकट का सॉल्यूशन निकालने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद मंत्री भंवर सिंह भाटी के साथ एसीएस एनर्जी अग्रवाल ने दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री और सेक्रेट्री से चर्चा कर राजस्थान का पक्ष रखा। इसी का रिजल्ट है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोल मंत्रालय को 24.4 मिलियन मैट्रिक टन कोयला हर साल राजस्थान को देने की सिफारिश कर दी है। अब कोयला मंत्रालय की आगामी बैठक में राजस्थान को अतिरिक्त कोयला आवंटित कर दिया जाएगा।
छबड़ा,सूरतगढ़,कालीसिन्ध बिजलीघरों की 4340 मेगावाट यूनिट्स में कोल क्राइसिस
एसीएस अग्रवाल ने स्वीकार किया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के छबड़ा की 1320 और 500 मेगावाट की यूनिट, सूरतगढ़ की 1320 मेगावाट यूनिट और कालीसिंध पावर प्लांट की 1200 मेगावाट की यूनिट मिलाकर कुल 4340 मेगावाट यूनिट्स के लिए कोयले का संकट आ गया है। राजस्थान सरकार की कैप्टिव माइन पारसा ईस्ट और केंटा बेसिन से इनमें कोयला आ रहा था। पारसा ईस्ट एंड केंटा बेसिन ब्लॉक के दूसरे फेज और पारसा कोल ब्लॉक एंड केंटा एक्सटेंशन कोल ब्लॉक में माइनिंग की मंजूरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से देरी हो रही है। इस कारण यह हालात पैदा हुए हैं।