चाचा नेहरू के अस्पताल में मासूमों की सांसत

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पूर्व प्रधानमंत्री और बच्चों के प्रिय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1963 में प्रयागराज में चिल्ड्रन हॉस्पिटल का श्रीगणेश किया था। इस अस्पताल को नाम दिया गया सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल। यह अस्पताल मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है। मगर, अव्यवस्थाओं और संसाधन की कमी के चलते यहां मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। स्थिति यह है कि इमरजेंसी वार्ड में एक बेड पर तीन से चार बच्चों को भर्ती करके इलाज किया जा रहा है। इतना ही नहीं, दोपहर दो बजे के बाद पूरा अस्पताल जूनियर डॉक्टरों के भरोसे ही रहता है।

बच्चों के इस अस्पताल में दर्जनों नवजात भर्ती होते हैं। तीमारदारों को बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। वे अस्पताल की फर्श पर ही बैठते और सोते नजर आते हैं। यहां वार्ड और ओटी के पास कई कुत्ते टहलते रहते हैं। कुत्तों से खतरा यह है कि वह मौका मिलते ही नवजात को उठाकर ले जा सकते हैं। यहां इमरजेंसी वार्ड में AC तो लगे हैं, लेकिन चलते नहीं हैं। बच्चे और तीमारदार गर्मी से जूझते नजर आते हैं। कुछ वार्डों में कूलर भी हैं, जिसमें ज्यादातर ऐसे हैं जो पुराने होने की वजह से चलते ही नहीं हैं।

प्रतिदिन 500 से ज्यादा होती है OPD

अस्पताल में प्रयागराज के साथ साथ प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, चित्रकूट, जौनपुर आदि शहरों से लोग यहां अपने बच्चों का इलाज कराने आते हैं। औसतन प्रतिदिन यहां 500 से ज्यादा की ओपीडी होती है। शासन की ओर से बच्चों के लिए नया अस्पताल बनाने की प्रक्रिया चल रही है। स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में अस्पताल बनाने के लिए भूमि पूजन भी हुआ, लेकिन अस्पताल बनकर पूरा नहीं हो सका। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मुकेशवीर सिंह कहते हैं कि आस-पास के कई जिलों से लोग बच्चों के इलाज के लिए यहां आते हैं। अस्पताल की क्षमता कम होने की वजह से असुविधा होती है। प्रयास किया जाता है कि किसी भी बीमार बच्चों को यहां से लौटाया न जाए। इसलिए उन्हें भर्ती कर लिया जाता है। यहां प्रतिदिन तीन ओपीडी चलती है

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