आंधी तारों को ढंक देती है, सांप-बिच्छू पैरों पर चढ़ जाते हैं, 4 घंटे सबसे खतरनाक
एक तरफ भारत…दूसरी तरफ पाकिस्तान…बीच में कंटीले तारों का बाड़ा। रेतीले इलाकों के इस बीहड़ में घंटे तो छोड़िए कुछ मिनट बिताना भी मुश्किल हो जाता है।
अचानक प्यास लगना बंद हो जाती है। आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है और कई बार बेहोशी आ जाती है।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के जैसेलमेर से करीब 270 किमी दूर स्थित भारत-पाक बॉर्डर की। अभी यहां का टेम्प्रेचर 50 डिग्री को टच कर रहा है।
हम करीब 12 से 14 घंटे बॉर्डर पर रहे और बाकी वक्त बॉर्डर से चंद कदम दूर बने BSF कैंप में बिताया, जहां से बॉर्डर नजर आता है।
इस दौरान हमने जवानों से बात की। उनके साथ खाना खाया और उनके साथ पेट्रोलिंग पर भी गए।
अभी 50 डिग्री टेम्प्रेचर के चलते बॉर्डर का एरिया दिन में भट्टी जैसा तप रहा है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि, जब हम बॉर्डर पर शूटिंग के लिए पहुंचे तो हमें अपने स्मार्टफोन और कैमरे को बार-बार बंद करना पड़ा, क्योंकि वो इतने गरम हो जा रहे थे कि, काम ही नहीं कर पा रहे थे।
8 से 10 दफा डिवाइस बंद-चालू हुईं, तब जाकर कहीं शूटिंग शुरू हो सकी।
एक कंधे पर राइफल…दूसरे पर पानी…
बॉर्डर पर तेज धूप के साथ ही गर्म हवाएं लगातार चल रही हैं। इनके बीच BSF के जवानों को 6-6 घंटे की दो शिफ्ट करनी होती हैं।
वे बॉर्डर पर जाने से पहले सिर से मुंह तक कॉटन का मोटा कपड़ा बांधते हैं। आंखों में काला चश्मा लगाते हैं। कैप पहनते हैं। पैरों में विशेष जूते होते हैं और जेब में नींबू-प्याज।
ओपन जिप्सी से जवानों को कैंप से बॉर्डर तक छोड़ा जाता है। इसके बाद उनकी पेट्रोलिंग शुरू हो जाती है। पेट्रोलिंग में शामिल जवान (सुरक्षा कारणों के चलते यहां जवान का नाम नहीं लिखा जा रहा।) से हमने पूछा कि 50 डिग्री में ड्यूटी के क्या चैलेंज हैं?
तो बोले, ऐसी परिस्थितियों में ड्यूटी करना हमें सिखाया गया है। सूती कपड़ा, चश्मा लगाकर पेट्रोलिंग करते हैं। साथ में नींबू पानी, छाछ भी रखते हैं। हीटस्ट्रोक से बचने के लिए प्याज जेब में रखते हैं और नींबू पानी लगातार पीते हैं।
अभी हमारे लिए दिन के चार घंटे दोपहर 12 से 4 बजे तक बेहद खतरनाक होते हैं, क्योंकि इस दौरान गर्मी पीक पर होती है। आंधी होश उड़ा देती है।