संभाजी महाराज को प्रताड़ित करने वाले की कब्र यहां क्यों: राणे औरंगजेब की कब्र का विरोध बीजेपी नेता नितेश राणे की ओर से भी किया गया। राणे ने कहा कि हम औरंगजेब की कब्र के सामने सिर झुकाने वालों को दो पैरों पर चलने की इजाजत देते हैं। नितेश राणे ने पूछा कि संभाजी महाराज को प्रताड़ित करने और मारने वालों की कब्रें महाराष्ट्र में क्यों होनी चाहिए? विजयदुर्ग किले की मरम्मत पर पुरातत्व विभाग का कोई जवाब नहीं लेकिन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए औरंगजेब का मकबरा पर्यटकों के लिए पांच दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।

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रोड रेज केस में पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला कोर्ट में सरेंडर करेंगे। वह थोड़ी देर में ही पटियाला स्थित अपने घर से कोर्ट रवाना होंगे। सरेंडर के बाद उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल में भेजा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्यूरेटिव पिटीशन तत्काल सुनने से इनकार कर दिया। सिद्धू के वकीलों को उम्मीद थी कि दोपहर बाद फिर सुप्रीम कोर्ट के आगे अर्जेंट सुनवाई की मांग करेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई। सिद्धू अगर सरेंडर नहीं करते तो फिर पंजाब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी।

इससे पहले, सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की पिटीशन पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि हम चीफ जस्टिस के पास मामले को भेज रहे हैं, वे ही इस पर सुनवाई का फैसला करेंगे। सिद्धू ने खराब स्वास्थ्य के आधार पर सरेंडर के लिए कोर्ट से एक हफ्ते की मोहलत मांगी थी।

सिद्धू की अर्जी पर अगर आज सुनवाई नहीं हुई, तो उन्हें 10 जुलाई तक राहत नहीं मिलेगी। क्योंकि कोर्ट में 23 मई से 10 जुलाई तक गर्मी की छुट्टी है। इस दौरान सिर्फ अर्जैंट मैटर पर सुनवाई होती है।

6 पॉइंट्स में समझें क्या है पूरा मामला

  • 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हुआ। सिद्धू ने उन्हें मुक्का मारा। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ।
  • 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पीड़ित पक्ष इसके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चला गया।
  • 2006 में हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
  • जनवरी 2007 में सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया। जिसमें उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद सिद्धू सुप्रीम कोर्ट चले गए।
  • 16 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार जुर्माना लगा। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने SC में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी।
  • 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर अपना फैसला बदलते हुए 323IPC यानी चोट पहुंचाने के आरोप में एक साल कैद की सजा सुना दी।

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