सिन्धी बाल संस्कार शिविर से संस्कारो मे अभिवृद्धि होती है

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भारतीय सिन्धु सभा की ओर से राज्यभर में चल रहे सिन्धी बाल संस्कार शिविरों को निरंतर साप्ताहिक ध्यान केन्द्र बनाने चाहिये ।जिससे विद्यार्थियों का भाषा व संस्कृति का जुडा़ व बना रहना चाहिये। यह बात महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने भीलवाडा़ मे शिविरों पर चर्चा करते हुए कही। शिविरो मे महापुरूषों व वीर सपूतों के बलिदानों के प्रसंगों से प्रेरणा देनी चाहिए।शिविरों को प्रेरणादायी बताते हुए कहा देश में वीर सपूत हेमू कालाणी जन्म शताब्दी वर्ष के तहत देशभक्ति के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं और सनातन धार्मिक स्थलो को भी जोडा गया है। शिविरों में आयोजित अलग अलग प्रतियोगिताओं के लिये भी प्रोत्साहित किया जाए एवं बच्चों को धार्मिक यात्राएं
करवाकर तीर्थों का ज्ञान करवायेगें। चर्चा में ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास उदासीन व गौतम सांई ने भी आशीर्वचन दिये।संयोजक रूकमणी वतवाणी ने किया।बताया कि शिविर में आज योग, प्रार्थना के साथ गीत तैयार करवाये गये। जिसमें विद्यालय प्रधानाचार्य मनजीत कौर के साथ महेश टेकचंदाणी, सीमा रामचंदाणी, घनश्याम ठारवाणी, सनीता भागचंदाणी ने सहयोग दिया।
कार्यक्रम में सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, संत सम्पर्क प्रमुख मोहन तुलस्यिाणी, अध्यक्ष नरेन्द्र बसराणी, नरेन्द्र सोनी,संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी, पूर्व पार्षद खेमचंद नारवाणी, रमेश गागनाणी, हरकिशन टेकचंदाणी, चन्द्रप्रकाश लख्याणी, नरेश टिलवाणी, ईश्वर अमरनाणी, किशन केवलाणी सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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