प्रशासनिक ओर राजनीति उदासीनता से विकास में पिछड़ा दीपनगर

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मकराना:मकराना पंचायत समिति की ग्राम पंचायत का राजस्व ग्राम दीपनगर कहने को तो शिक्षित एवम अनुशाषित गांव कहलाता है । वीर शहीद हरिसिंह की शहादत एवम देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में भी यहां के सेनानियों का योगदान होने के कारण यह क्षेत्र स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवम शासन प्रशासन से पहचान का मोहताज नही है। असल मे दीपनगर सन 2007 में राजस्व ग्राम घोषित हुआ तो यहां के बाशिंदों को विकास की आश बंधी लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी दीपनगर राजस्व ग्राम स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासन की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। आधारभूत सुविधाओं से महरूम दीपनगर अपनी दुर्दशा पर खुद आंसू बहा रहा है ।मकराना से मात्र 25 किलोमीटर दूरी पर स्तिथ राजस्व ग्राम के ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन की उदासीनता के कारण जबरदस्त आक्रोश है। यहां की महिलाओ ने तो बाकायदा लामबंद विकास नही तो वोट नही का निर्णय लेते हुए भविष्य में ग्राम पंचायत से लेकर विधायका चुनाव व संसद चुनावो में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। मीडिया टीम से रु ब रु होते हुए यहां के बाशिंदों ने बेखोप होकर अपना दिल ऐ दर्द बयान किया। ग्रामीणों ने बताया कि बिजली पानी,सड़क ,चिकित्सा सुविधाओं से आज भी यह गांव राजनीति का शिकार होने से विकास में पिछड़ा हुआ है। राजपूत समाज के 125 परिवार यहां निवास करते हैं और 400 से अधिक वोटर का इस लोकतंत्र में कोई अस्तित्व नही रहा राजनेताओ की इच्छा मतदाताओं की विकास की मंशा पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। ग्रामीणों ने मीडियाकर्मियों को दीपनगर का अवलोकन कराया और बताया यहां सरकारी स्कूल का विकास भी स्थानीय भामाशाह ओर आमजन के सहयोग से हुआ है, सरकार की ओर से कभी इस ओर ध्यान नही दिया गया। यहाँ सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है नहरी पानी योजना कनेक्शन के 2 पॉइंट लगे हुए हैं लेकिन पानी नही आ रहा। 400 से 500 रुपये निजी खर्च कर पानी के टैंकर मंगाना पड़ता है। पानी की टँकी सूखी पड़ी है और सारे ट्यूबवेल फेल हो चुके हैं।इस भीषण गर्मी में पेयजल के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है।स्थानीय विधायक रूपाराम मुरावतिया ओर पूर्व विधायक जाकिर हुसैन गैसावत ,स्थानीय सरपंच सहित जलदाय विभाग के तमाम अधिकारियों के बार बार चक्कर लगाने के बाद भी आज तक समस्या का समाधान नही हुआ है। ऐसे में घरेलू महिलाएं बहुत परेशान हैं। दुर्भाग्य कहे या विडम्बना इस राजस्व ग्राम में करीब 600 गाये व अन्य पशु है जो पीने के पानी के लिए इधर उधर भटक रहे है।ग्रामीणों ने प्रति घर एक एक टैंकर नियमित रूप से पानी मंगवा कर निर्दोष ओर बेजुबान पशुओं की प्यास बुझा रहे हैं लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कोई शर्म महसूश नही होती। केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार के दावे राजस्व ग्राम को डामर से निर्मित मुख्य सड़क से जोडा जाएगा लेकिन यहां हकीकत विपरीत है। कच्चा व उबड़ खाबड़ ग्रेवल सड़क के कारण आये दिन यहां हादसे होते हैं। महिलाओ की डिलीवरी व बीमार लोगो को वाहन ट्रेवल में बड़ी परेशानियां होती है।कई बार तो डिलीवरी वाहन में ही हो जाती है तो ऐसे कुछ मामले भी सामने आए की समय पर उपचार के अभाव में महिलाओ ने दम तोड़ दिया। राजस्व ग्राम घोषित होने के बाद जो सड़क स्वीकृत हुई स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने दूसरी जगह बनवा दी। वर्तमान में मकराणा विधायक के कोटे से नई सड़क स्वीकृत हुए 8 माह हो गए लेकिन अभी तक सड़क का कार्य लंबित पड़ा है। ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि हमारी समस्याओं को सुनने वाला कोई नही है। केवल चुनावो के दौरान यहां के नेताओ को याद आती है।यह समस्याएं बार बार मे चुनाव में मुद्दा बन कर उभरती है और चुनाव के बाद अचानक गायब हो जाती है।चुनाव के समय विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता ओर उनके समर्थक वोटरों को लुभाने के लिए बड़े बड़े वादे करते हैं दावे करते हैं लेकिन चुनाव बाद भूल जाते हैं।

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