दिव्यांग बच्चे को प्लेन में नहीं चढ़ने देने के मामले में इंडिगो दोषी
दिव्यांग बच्चे को प्लेन में चढ़ने नहीं देने के मामले में एविएशन रेगुलेटर DGCA ने इंडिगो एयर लाइन को दोषी पाया है। DGCA की एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने इस घटना की जांच के बाद रिपोर्ट में कहा है कि इंडिगो का व्यवहार सही नहीं है। एयर लाइन ने नियमों का पालन नहीं किया। एयर लाइन को शोकॉज नोटिस भी दिया गया है। जवाब के लिए 26 मई तक का समय दिया गया है। DGCA ने बताया कि कमेटी की कार्यवाही आंशिक रूप से खुले में और आंशिक रूप से कैमरे में परिवार के अनुरोध के अनुसार की गई है।
पूरा मामला समझिए
इस महीने की शुरुआत में 7 मई को, इंडिगो के एक मैनेजर ने रांची एयरपोर्ट पर एक स्पेशल नीड वाले बच्चे के साथ दुर्व्यवहार किया था। घटना के समय मौजूद एक चश्मदीद अभिनंदन मिश्रा ने सोशल मीडिया पर इस घटना की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि रांची एयरपोर्ट पर एक दिव्यांग बच्चा फ्लाइट में चढ़ने से डर रहा था। उसके माता-पिता उसे शांत करने में लगे थे। इस बीच इंडिगो कर्मियों ने बच्चे को विमान में चढ़ाने से मना कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि इससे अन्य यात्रियों को खतरा है।
विरोध के बाद भी नहीं मानी एयरलाइन
उन्होंने बताया कि दूसरे यात्रियों ने इसका विरोध किया। उन्होंने SC के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि कोई भी एयरलाइन दिव्यांग यात्रियों के खिलाफ भेदभाव नहीं कर सकती। प्लेन में डॉक्टरों का भी ग्रुप था, जिसने बीच रास्ते में बच्चे को कोई दिक्कत होने पर मदद की पेशकश की। इसके बावजूद इंडिगो कर्मियों ने बच्चे को विमान पर नहीं चढ़ने दिया। इस मामले के सामने आने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि इस तरह के व्यवहार के प्रति जीरो टॉलरेंस है। मामले की जांच कर रहे हैं और उचित कार्रवाई की जाएगी।
एयरलाइन ने मांगी थी माफी
इंडिगो ने अपने CEO रोनोजॉय दत्ता के हवाले से स्टेटमेंट जारी करके कहा था कि ‘7 मई को रांची एयरपोर्ट पर दुर्भाग्यपूर्ण वाकया हुआ, जब एक दिव्यांग टीनेजर और उसके माता-पिता हैदराबाद की फ्लाइट में नहीं चढ़ पाए। इंडिगो के सभी कर्मचारी इस वाकए को लेकर परेशान हैं। अप्रैल 2022 से लेकर अब तक हमने करीब 75 हजार दिव्यांगों को लेकर उड़ान भरी है। हमारे क्रू और एयरपोर्ट स्टाफ को खास ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे खास जरूरतों वाले यात्रियों को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके।’
कंपनी ने आगे कहा, ‘चेक-इन और बोर्डिंग प्रक्रिया के दौरान हम जाहिर तौर पर परिवार को ले जाना चाहते थे, लेकिन बोर्डिंग एरिया में टीनेजर काफी घबराया हुआ नजर आया। हालांकि यात्रियों को विनम्र और सहानुभूति से ट्रीट करना हमारी सबसे अहम जिम्मेदारी है, लेकिन सेफ्टी गाइडलाइन्स को देखते हुए एयरपोर्ट स्टाफ को एक मुश्किल फैसला लेना पड़ा। इस घटना के सारे पहलुओं की जांच करने के बाद, एक संस्थान के तौर पर हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मुश्किल घड़ी में हमने सबसे बेहतर निर्णय लिया।’